by Gnyana Sangha | मार्च 10, 2022 | उम्मीद, कर्म, कर्मफल, कष्ट, कष्ट, चेतना, जाने दो, जीवन के साथ बहो, ब्रह्मांड, भगवान, भूमि, माता-पिता, वैदिक, व्याकुलता
मातृ – पितृ कर्म प्रश्न: मैं अमेरिका में रहता हूँ। मेरे माता-पिता वृद्ध हैं और भारत में अकेले रहते हैं। मैं चाहता हूँ कि वे यहाँ आकर मेरे पास रहें। परंतु उन्हें यहाँ रहना पसंद नहीं है। वे वृद्ध हैं और काफी परेशानी में हैं। मैं अपना परिवार छोड़ कर उनकी सेवा...
by Gnyana Sangha | दिसम्बर 17, 2020 | अस्तित्व, कबीर, चेतना, तुम, द्वैत, पथ, ब्रह्मांड, मैं, शरीर, साक्षी भाव/ साक्षी
कबीर का भीतरी दर्पण प्रश्न: निम्नलिखित दोहे में कबीर किस दर्पण की बात कर रहे हैं? हृदय मा ही आरसी, मुख देखा नहीं जाए, मुख तो तभी देखिये, जब दिल की दुविधा जाए। उत्तर: इस दोहे में संत कबीर अद्वैत वेदान्त के ‘चित्तछाया’ या ‘चिदाभास’...
by Gnyana Sangha | मार्च 7, 2019 | चेतना, पुरुष, ब्रह्मांड, व्यक्तिगत आध्यात्मिकता
ईश्वरीय कण! प्रश्न:एकता जी, इस बात को थोड़ा और ठीक से समझाइये – “जागें और इस बात का अनुभव करें कि आप ‘स्वयं’ ही इस संपूर्ण विश्व का केंद्र हैं”। हम सब विश्व का केंद्र कैसे हो सकते हैं?उत्तर:कुछ प्रश्नों पर मनन करें। क्या आपके घर की दीवारों...